Bilaspur. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में पिछले कुछ सालों से लगातार तेजी का रुझान देखा जा रहा है। ईवी में कॉमर्शियल व्हीकल (खासकर तिपहिया की बिक्री) के साथ पैसेंजर व्हीकल्स की भी बिक्री जबरदस्त तेजी से बढ़ती जा रही है। बावजूद ज्यादातर लोगों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (ईवी) को लेकर मन में कई तरह की आशंकाएं हैं। कई तरह के मिथ्स मौजूद हैं। देश के ईवी मार्केट में गाड़ियों के शोरूम की सुपर चेन रखने वाली कंपनी इलेक्ट्रिक वन ने ऐसे मिथ्स पर से पर्दा उठाया है और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर कई अहम बातों को स्पष्ट किया है। आइए क्या मिथ्स हैं और क्या सच्चाई, इसे जान लेते हैं।
Myth 1 : ईवी को चार्ज होने में बहुत समय लगता है
नए मॉडल्स में लगातार चार्जिंग स्पीड अपग्रेड की जा रही है.electric one सितम्बर नई गाड़ी लॉंच करने जा रही है उसे फुल चार्ज होने में 90 minute मात्र लगेंगे
Myth 2: ईवी की बैटरी की लाइफ़ सिर्फ़ उसकी वारंटी तक ही चलती है।
सच्चाई: ईवी की बैटरी, किसी भी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे कि स्मार्टफ़ोन या टैबलेट की तरह, वारंटी के बाद भी चलती है
Myth 3: ईवी को खरीदना और उसका रख-रखाव करना महंगा है।
सच्चाई: ईवी में कम पार्ट्स होने की वजह से रख-रखाव की लागत कम होती है।
Myth 4: ईवी खरीदना महंगा है।
सच्चाई: पेट्रोल से चलने वाले वाहन की तुलना में ईवी 5 साल में 4.2 लाख से ज़्यादा बचाता है।
Myth 5 : बहुत से लोग ईवी नहीं रखते।
सच्चाई: सिर्फ वर्ष में भारत में 9.5 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया गाड़ियां बिकी हैं