Bilaspur. राज्यपाल के रूप में उनकी पारी साल 2019 में त्रिपुरा से शुरू हुई थी. इसके बाद उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था. फरवरी 2023 से वह महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में काम कर रहे थे. रायपुर लोकसभा से सात बार सांसद रह चुके रमेश बैस अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं.
राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल खत्म कर रमेश बैस की छत्तीसगढ़ वापसी हो रही है. बैस राज्य में भाजपा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. 78 साल की उम्र पार कर चुके रमेश बैस राजनीतिक रूप से अब भी सक्रिय हैं. उनकी इसी सक्रियता ने राज्य में स्थापित नेताओं को चुनौती दे दी है. राज्य के सबसे अनुभवी नेता के रूप में रमेश बैस को नजरअंदाज कर पाना भाजपा संगठन के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा. रमेश बैस की वापसी होने के साथ ही उनकी नई भूमिका को लेकर राज्य संगठन में चर्चाएं शुरू हो गई है.
एक पार्षद के रूप में राजनीतिक पारी शुरू करने वाले बैस 1980 से 1985 तक विधायक रहे है. 1989 में बतौर सांसद चुनकर संसद जाते रहे. वह भाजपा के अपराजेय योद्धा रहे हैं. कांग्रेस के सभी दिग्गज चुनाव में उनके सामने धराशायी होते रहे. ओबीसी समाज से आने वाले रमेश बैस की सामाजिक स्तर पर भी अच्छी पैठ है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के वक्त इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर उन्हें सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनाया जाएगा. पूर्ववर्ती सरकार में मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल के मुकाबले उनका चेहरा देखा जाने लगा था. मगर भाजपा ने अपनी रणनीति बदल दी और ऐसा मुमकिन नहीं हो सका.