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High Court: जिला अस्पताल में रोगों की जांच पर शासन ने हाईकोर्ट में भी दी गलत जानकारी, हाईकोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया

 


बिलासपुर। जिला अस्पताल बिलासपुर में रिएजेंट की सप्लाई और मशीनें चालू होने की जानकारी गलत पाई गई है। शुक्रवार को शासन को स्पष्टीकरण देना था लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता के उपलब्ध नहीं रहने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रकरण की सुनवाई एक सप्ताह बाद रखी है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में खरीदी गई लाखों की मशीनें सिर्फ रखने के लिए नहीं हैं। इनसे जांच हो और नियमित समय पर रिपोर्ट मिले। इसकी व्यवस्था सरकार और स्वास्थ्य विभाग को करनी होगी।




 जिला अस्पताल में रिएजेंट खत्म होने और मशीनें बंद पड़े रहने से कई जरूरी जांच न होना की बात सामने आई थी। हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया तो मालूम पड़ा कि जिला अस्पताल में थायराइड, रक्त, यूरिन सहित अन्य जरूरी जांच नहीं हो पा रही हैं। इस कारण मरीजों को प्राइवेट लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। इस अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई थी और दो कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर जांच के निर्देश दिए थे। कोर्ट कमिश्नरों ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया था कि कुल आठ मशीनों में से 4 बंद हैं। सिर्फ 4 से जांच हो रही है। कोर्ट ने लैब में स्थापित मशीनों का नाम एवं वर्ष, पिछले दो वर्षों में रिएजेन्ट कब-कब प्राप्त हुआ, कुल जाँच की संख्या और किन-किन मशीनों का रिएजेन्ट समाप्त हो चुका है, उसका मांग पत्र कब भेजा गया है, या नहीं भेजा एवं रिएजेन्ट की उपलब्धता की वर्तमान स्थिति पर जवाब मांगा था। 





पिछली सुनवाई में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव ने शपथपत्र में कहा था कि मशीनें काम कर रहीं हैं और जांच हो रही है। लेकिन संलग्न दस्तावेज से कोर्ट को पता चला कि रिएजेंट की आपूर्ति नहीं होने के कारण मशीनें पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही हैं। इस संबन्ध में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) के पत्र और जिला अस्पताल के सिविल सर्जन द्वारा किए गए कथन से भी स्पष्ट हो रहा है कि मशीनें सही तरीके से काम नहीं करने के कारण मरीजों के जरूरी परीक्षण नहीं हो पा रहे हैं। 










इस पर राज्य शासन के वकील ने वास्तविक तथ्य का पता लगाने के लिए हाईकोर्ट से समय मांगा था। कोर्ट ने 19 जुलाई को वास्तविकता की जानकारी लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे पर आज भी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं हो सकी। कोर्ट कमिश्नरों ने जिला अस्पताल के निरीक्षण में पाया था कि टेस्टिंग मशीनें बंद पड़ी हैं।

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