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High Court : अवैध मुरुम खनन पर हाईकोर्ट सख्त, अधिकारियों से मांगा जवाब

 


बिलासपुर। ट्रांसपोर्टर द्वारा निर्धारित से ज्यादा अवैधानिक खनन कर बाजार में बेचे जाने पर जनहित याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट ने कलेक्टर और खनिज उप संचालक दुर्ग से पूछा है कि परिवहन ठेके में खनन करने की अनुमति किसने दी। कोर्ट ने दो सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं।



                                          

 जनहित याचिका में बताया गया है कि दुर्ग जिले के ब्लाक पाटन के ग्राम बठैना में पांच तालाबों का सौंदर्यीकरण और गहरीकरण किया गया। इसमें करीब 8 हजार क्यूबिक मीटर मुरुम निकाली गई। इसके परिवहन का ठेका अभिषेक सिंह को दिया गया। रायल्टी चुकाने के बाद ही इसका परिवहन करना था। लेकिन उसने बिना रॉयल्टी इस मुरुम को बाहर ले जाकर बेचना भी शुरू कर दिया। स्थानीय निवासी कृष्ण कुमार वर्मा ने एक इंजीनियर के माध्यम से जब नाप करवाकर रिपोर्ट बनवाई तो पता चला कि तालाबों से एक लाख क्यूबिक मीटर मुरुम निकाली जा चुकी है।.इसकी ग्राम पंचायत में न कोई एनओसी  जमा कराई न कोई रसीद ही ली गई। 



तालाबों को जरूरत से ज्यादा खोदकर पूरा बर्बाद कर दिया गया। यह न तो आम लोगों के निस्तार न ही जानवरों के काम का रह गया। जब प्रशासन से इसकी शिकायत करने पर भी  कोई कार्रवाई नहीं हुई तो इन्होने अधिवक्ता बीपी सिंह के माध्यम से जनहित याचिका लगाई। इसमें मांग की गई कि, जो अवैध रूप से मुरुम बेचीं गई है,उसकी रॉयल्टी राशि की दोषियों से वसूली कराकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जाये।.इसके साथ ही पूरे मामले में माइंस एंड मिनरल एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाये।




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