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High Court: निचले कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने मांगा अतिरिक्त समय, सीजे ने 3 माह और समय देकर कहा-गंभीर प्रकृति के मामले में समय पर सुनवाई पूरी करना जरूरी

 




बिलासपुर। हाईकोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के अंतर्गत ट्रायल कोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ने इस प्रकरण में त्वरित न्यायिक कार्यवाही की आवश्यकता पर बल दिया है। ताकि आरोपी बिना ट्रायल के लंबे समय तक जेल में रहने को बाध्य न हों। 




मामला मादक पदार्थ के व्यापार संबन्धी अपराध से जुड़ा है। याचिकाकर्ता विजय नामदेव उर्फ बाबू सत्तीपारा दीवान तालाब, अंबिकापुर सरगुजा का निवासी है। उसने जमानत के लिए पूर्व में याचिका दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 29 सितंबर, 2023 को अस्वीकार कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने अपेक्षा व्यक्त करते कहा कि अगर कोई कानूनी बाधा न हो तो निचली अदालत छह महीने के भीतर मुकदमे को समाप्त करने का प्रयास करे।




इस मामले में प्राथमिक कानूनी मुद्दा एनडीपीएस अधिनियम के तहत प्रकरण सुनवाई के लिए लंबित रहने से जुड़ा है, जो अपने कड़े प्रावधानों और कठोर दंड के लिए जाना जाता है। एनडीपीएस अधिनियम मामलों के अभियोजन के लिए

सख्त समयसीमा निर्धारित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय में अनावश्यक रूप से देरी न हो, जिसके परिणामस्वरूप अभियुक्त को लंबे

समय तक परीक्षण-पूर्व हिरासत में रहना पड़ सकता है। 





मामले के विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस अधिनियम) अंबिकापुर, जिला सरगुजा ने 20 मार्च, 2024 को आरोप तय किए जाने और 1 अप्रैल, 2024 को पीठासीन अधिकारी के कार्यभार संभालने का हवाला देते हुए मुकदमे को समाप्त करने के लिए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा से अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया था।ट्रायल कोर्ट ने विचारण करने के लिए तिथि तय की थी, जिससे मुकदमे के समापन के लिए और समय की आवश्यकता थी। अनुरोध की समीक्षा करने पर, मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने विशेष न्यायाधीश द्वारा दिए गए कारणों को उचित पाया।परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने तीन महीने की अतिरिक्त अवधि सुनवाई के लिए दी।





2 मई, 2024 को दिए गए अपने आदेश में, मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने कहा कि “विद्वान विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस अधिनियम) अंबिकापुर द्वारा अतिरिक्त समय के लिए किया गया अनुरोध उचित प्रतीत होता है।“संबंधित ट्रायल कोर्ट को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने से तीन महीने की अतिरिक्त अवधि के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया जाता है। रजिस्ट्री को आदेश की प्रमाणित प्रति तत्काल अनुपालन के लिए ट्रायल कोर्ट को भेजने का निर्देश दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुनवाई बिना किसी अनावश्यक देरी के आगे बढ़े।

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