Bilaspur. रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसमें एक रेशम की डोर से किसी को भी अपना बनाया जा सकता है। इस एक धागे से हम भाईयों की लम्बी उम्र की कामना करते हैं। रिश्तों की गरिमा का त्यौहार है। अमन शांति भाईचारा और निश्चल प्रेम का त्यौहार है।
इन रिश्तों को प्रगाढ़ता देते हुए सांई माउली परिवार द्वारा गत वर्षों में सरहद पर सीमा की रक्षा करने वाले वीर जवानों के प्रति अपना प्रेम प्रकट करते हुए उनके सुरक्षित जीवन की प्रार्थना सांई के समक्ष करके एक भव्य राखी सीमा पर भेज रहे हैं।
इस बार जब अचानक सांई माउली परिवार के पितामह श्री दिलीप पात्रीकर जी के मन में विचार आया कि श्री साईं के चरणों में विश्व सौहार्द और शांति की कामना के साथ में राखी भेजी जाये। सांई नाथ की पुण्यतिथि 15 अक्टूबर के करीब होने वाले त्यौहार रक्षाबंधनपर इसी धारणा के आधार पर राखी बनाने का विचार कर कार्य प्रारंभ किया।
उन्होंने बताया कि रक्षासूत्र के विषय हेतु सांई बाबा से सम्बन्धित विषयवस्तु को ही चुना है। 15 अक्टूबर 1918 दिन मंगलवार को दोपहर को श्री साईनाथ ने महाप्रयाण किया था। समाधि लेने से पहले अपने पास उपस्थित परम सांई भक्त श्रीमती लक्ष्मी बाई शिंदे को साईं ने एक बार पांच और दूसरी बार चार इस तरह एक एक रुपए के नौ सिक्के दिये थे। इन नौ सिक्कों को राखी में समाहित करते हुए श्रीमद् भागवत पर आधारित नव विधा भक्ति के लक्षणों को बड़ी राखी में दर्शाया है .......1अमानिता 2 अध्यात्म दक्ष 3 निर्मत्सरता 4 निर्मोहिता 5
गुरुसेवा तत्परता 6 परमार्थ जिज्ञासु 7 निश्चल अंतस 8असूयारहित 9वाद विवाद रहित रहना।
सांई नाथ की समाधि पर चढ़ाने के लिए एक ओर थोड़ा छोटा रक्षा सूत्र बना है उसमें रामचरितमानस के नवधा भक्ति के 9 लक्षणों को सम्मिलित किया....1संत संग 2कथा श्रवण 3गुरु पद सेवा 4 श्रेष्ठ संगत
संत की श्रेष्ठता 5 परदोष न देखना 6
संतोष 7 प्रभु आश्रित जीवन 8श्रद्धा 9 धैर्य। बड़ी राखी में भक्तों को बाबा के
आश्वासन एवं भक्तों द्वारा बाबा की शरणागति को स्वीकार करने वाली पंक्तियां दर्शायी गई है लगभग 36 फुट लंबी एवं साढे 5 फीट चौड़ी यह राखी विभिन्न पदार्थों के सहयोग से बनाई गई है। बिलासपुर के साईं माउली परिवार एवं समस्त साई भक्तों के भावनाओं को श्री साईं तक पहुंचाने यह प्रयास किया गया है। श्री साईनाथ के चरणों में सभी का सादर प्रणाम।
8 अगस्त गुरुवार को विधिवत पूजा अर्चना कर रात 9 बजे तक भक्तों के दर्शन हेतु रखा गया। अब इसको भेजने की व्यवस्था की जा रही है। यह जानकारी पात्रीकर जी से प्राप्त कर सांई भक्त वीना अग्रवाल द्वारा दी गई।