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दोषमुक्त साबित होने के बाद भी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के भुगतान में लग गए साल..... हाई कोर्ट ने राजस्व विभाग को जारी किया नोटिस

 



 बिलासपुर। रिटायरमेंट के 7 साल बाद कर्मचारी को देयकों का भुगतान किया गया। इस पर ब्याज के लिए दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सामान्य प्रशासन, राजस्व विभाग के सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी किया है।


वार्ड नं. 11, पटपरिया, अम्बिकापुर निवासी रामनाथ राम सनमानी जिला-कोरिया में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ थे। 31 जुलाई 2017 को 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया गया। सेवानिवृत्ति के पश्चात् उनके विरुद्ध लंबित विभागीय जांच का हवाला देकर उनके समस्त सेवानिवृत्ति देयक रोक दिए गये। 20 जुलाई 2022 को उन्हें विभागीय जांच में भी पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया गया। फिर भी उनको अत्यन्त विलंब से वर्ष 2024 में सेवानिवृत्ति देयक का भुगतान किया गया।


 इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने सेवानिवृत्ति देयक पर ब्याज के लिए अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय, दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के नियम 9 में यह प्रावधान है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी के रिटायरमेन्ट के पश्चात् उसके विरुद्ध विभागीय जांच लंबित होने पर सिर्फ 50 प्रतिशत पेंशन एवं ग्रेच्युटी राशि रोकी जा सकती है। वह भी रिटायरमेन्ट के दो वर्ष पश्चात् भुगतान किया जाना आवश्यक है। परन्तु याचिकाकर्ता के मामले में सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, राजस्व विभाग एवं कलेक्टर एवं अपर कलेक्टर, कोरिया द्वारा याचिकाकर्ता के सम्पूर्ण सेवानिवृत्ति देयक का भुगतान रोक दिया गया। 




अतः याचिकाकर्ता उक्त सेवानिवृत्ति देयक पर ब्याज राशि प्राप्त करने का हकदार है। मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित न्यायदृष्टांत का हवाला दिया गया, जिसमें यह कहा गया था कि किसी शासकीय कर्मचारी के सेवानिवृत्ति देयक का विलंब से भुगतान होने पर वह सेवानिवृत्ति देयक के साथ साथ उस पर ब्याज की राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। हाईकोर्ट ने सुनवाई के पश्चात् याचिका स्वीकार कर सचिव-सामान्य प्रशासन एवं राजस्व विभाग सहित कलेक्टर कोरिया को जवाब देने के निर्देश दिए हैं। 




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