नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई कर्मचारी, जो मूल रूप से सरकार में नियमित आधार पर नियुक्त नहीं हुआ था, लम्बे समय से नियमित कर्मचारी की भूमिका और जिम्मेदारियां निभा रहा है तथा नियमित कर्मचारी के समान लाभ प्राप्त कर रहा है, तो ऐसा कर्मचारी अस्थायी कर्मचारी नहीं रह जाता है तथा उसे नियमित कर्मचारी माना जाना चाहिए। ऐसे कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह फैसला विशेष सीमा बल (एसएफएफ) के अनिवार्य बचत योजना जमा (एसएसडी) कोष का प्रबंधन करने वाले कर्मचारियों की अपील पर किया। इन कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का व पेंशन लाभ नहीं मिला। केंद्र सरकार ने उनके ज्ञापन को खारिज कर दिया वहीं हाईकोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली तो वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
फैसले में कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं को पेंशन लाभ से वंचित करना न्यायोचित नहीं है। यह मनमाना है और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि पेंशन लाभ सहित छठे केंद्रीय वेतन आयोग के लाभ अपीलकर्ताओं को उसी तरह प्रदान करें जैसे कि एसएफएफ मुख्यालय के लेखा अनुभाग में उनके सहकर्मियों को प्रदान किए जा रहे हैं।