बिलासपुर। पुलिस विभाग में एक स्थानांतरण के मामले में हाईकोर्ट ने नियमानुसार निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। इस संबन्ध में दायर याचिका में कहा गया था कि किसी आरक्षक का एक जोन से दूसरे जोन या एक रेंज से दूसरे रेंज में स्थानांतरण का अधिकार किसी पुलिस अधिकारी को ना होकर सिर्फ पुलिस स्थापना बोर्ड को है।
सेक्टर 4. भिलाई निवासी संजय कुमार वर्मा, पुलिस मुख्यालय, दूरसंचार विभाग, रायपुर में आरक्षक (दूरसंचार) के पद पर पदस्थ थे। सहायक पुलिस महानिरीक्षक (दूरसंचार) पुलिस मुख्यालय द्वारा उनका स्थानांतरण जिला बीजापुर कर दिया गया। उक्त स्थानांतरण आदेश से क्षुब्ध होकर उन्होंने वकील अभिषेक पांडे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनके अधिवक्ताओं द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि छत्तीसगढ़ पुलिस एक्ट 2007 की धारा 22 (2)(ए) में यह प्रावधान है कि किसी आरक्षक का एक जोन से दूसरे जोन या एक रेंज से दूसरे रेंज में स्थानांतरण का अधिकार किसी एक पुलिस अधिकारी को ना होकर सिर्फ पुलिस स्थापना बोर्ड को है।
पुलिस स्थापना बोर्ड के डीजीपी अध्यक्ष एवं चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सदस्य होते हैं। उक्त पुलिस स्थापना बोर्ड को ही एक पुलिस कांस्टेबल (आरक्षक) का एक पुलिस रेंज से दूसरे पुलिस रेंज में स्थानांतरण का अधिकार है। परंतु याचिकाकर्ता के मामले में उसका स्थानांतरण एवं रिलीविंग एक आईपीएस अधिकारी सहायक पुलिस महानिरीक्षक (दूरसंचार) द्वारा कर दिया गया। जबकि उक्त स्थानांतरण का अधिकार सिर्फ पुलिस स्थापना बोर्ड को है। हाईकोर्ट ने उक्त रिट याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को यह राहत दी कि वे पुलिस स्थापना बोर्ड के अध्यक्ष (डीजीपी) एवं सदस्यगण (चार वरिष्ठ पुलिस आईपीएस अधिकारी) के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करें एवं पुलिस स्थापना बोर्ड 90 दिवस के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण करे।