बिलासपुर। आईआईटी, एनआईटी में एडमिशन के नियमों को बदलने पर ऐतराज जताते हुए विदेशी छात्रों की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा कि प्रवेश के लिए नीति बनाना और मापदंड तय करना केन्द्र सरकार का अधिकार है और विषय भी। छूट के लिए दावा नहीं कर सकते हैं। छूट देना सरकार का नीतिगत निर्णय है
याचिका सऊदी अरब में रहने वाले आठ से अधिक छात्रों ने दायर की थी। सऊदी अरब में रहने वाले स्टूडेंट्स शेख मुनीर, सुहास काम्मा, श्रियांस कुमार, आफिया अनीस, रंजीत, राघव सक्सेना सहित कई अन्य छात्रों ने ड्सयर की। याचिका में कहा था कि एनआइटी, आइआइटी व अन्य संस्थानों में डासा योजना के तहत एडमिशन के लिए पात्र है।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शैक्षणिक योग्यता के लिए निर्धारित मानदंड में बदलाव किया है इसके चलते वे एडमिशन नहीं करा पा रहे है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि वर्ष 2024-25 के लिए स्नातक कोर्स में एडमिशन के लिए पूर्व में 60 फीसदी अंक निर्धारित किया गया था। इसे अब बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया है। साथ ही इसे अनिवार्य शर्त में शामिल कर लिया है। स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट से इस विषय में केन्द्र सरकार को परमादेश जारी करने की मांग की थी। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2001-02 में विदेशी नागरिकों, भारतीय मूल के विदेश में रहने वाले, अप्रवासी भारतीयों और एनआरआई को देश के प्रमुख 66 तकनीकी शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए डासा योजना लागू की गई है। शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए डासा योजना के तहत प्रवेश प्रक्रिया संचालित करने का जिम्मा एनआइटी रायपुर को सौंपा गया है।