Bilaspur. सरकण्डा स्थित पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव श्रावण मास मे महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ नमक चमक विधि द्वारा प्रारंभ हो गया है जोकि निरंतर एक माह तक चलेगा 6 जुलाई आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से लेकर आगामी 15 नवंबर 2024 कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक चलने वाले श्री पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ मे 36 लाख आहुतियाँ अर्पित की जाएगी।श्री पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ 133 दिन चलेगा,जिसमें 38 दिन पूर्ण हो चुके हैं और 38 दिन में 7 लाख 98 हजार आहुतियां दी जा चुकी है।प्रतिदिन पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ रात्रि 8:00 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 1:00 तक निरंतर चलता है एवं रात्रि 12:45 में श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का महाआरती किया जाता है।
22 जुलाई 2024 से आरंभ सावन सोमवार के अवसर पर त्रिदेव मंदिर में महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ का आयोजन हुआ। यह आयोजन 19 अगस्त सावन शुक्ल पूर्णिमा तक निरंतर चलेगा। इस अवसर पर नित्य प्रतिदिन प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक नमक चमक विधि से किया जा रहा है।इस अवसर पर डॉ.मनोज चौकसे ,श्रीमती डॉ.किरण वर्मा पंचकर्म वैद्य शाला नेहरू चौक बिलासपुर श्री रविंद्र विश्वकर्मा महारुद्राभिषेक एवं पूजन में सम्मिलित हुए।
इसी कड़ी में पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज जी ने बताया कि समत्व ही शिवत्व है।जीवन प्रतिपल एक नईं चुनौती प्रस्तुत करता है लेकिन जो इन सभी प्रतिकूलताओं अथवा अनुकूलताओं को समभाव से स्वीकार कर लेता है, वही जीवन महान भी बन पाता है।भगवान भोलेनाथ के जीवन की यह सीख बड़ी ही अद्भुत है कि कभी दूध मिला तो प्रसन्न हो गये व कभी केवल पानी ही मिला तो भी प्रसन्न हो गये।कभी शहद अर्पित हुआ तो प्रसन्न हो गये और कभी धतूरा ही मिला तो सहर्ष स्वीकार कर लिया।केवल एक विल्व पत्र पर रीझने वाले भगवान भोलेनाथ जीव को यह सीख देना चाहते हैं,कि जरूरी नहीं कि हर बार उतना ही मिलेगा जितनी आपकी अपेक्षा है।कभी-कभी कम मिलने पर भी अथवा जो मिले,जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहना तो सीखो,तुम आशुतोष बनकर अवश्य पूजे जाओगे।