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वैद्यशाला में कल से 4 अगस्त तक तीन दिवसीय निशुल्क शिविर, पाइल्स, फिस्टुला एवं फिशर की जांच एवं आयुर्वेदिक परामर्श

 




बिलासपुर। नेहरू चौक स्थित वैद्यशाला में कल 2 अगस्त से 4 अगस्त तक 3 दिवसीय निशुल्क चिकित्सा परामर्श शिविर आयोजित किया जाएगा। शिविर में सभी प्रकार के वात रोग जिसमें लकवा, पार्किंशन्स, चेहरे का लकवा, अनिद्रा, बार-बार गर्भपात होता, अण्डा न बनना, स्त्रीरोग, बध्यता, आमवात, घुटते-कमर-गर्दन कंधे का दर्द, पैरो की नसों में अवरोध, दर्द जकड़न, जलन, झुनझुनी, आईबीएस., झटके आना, सिरदर्द, माइग्रेन, ऐडी दर्द, बच्चों एवं शिशुओं के रोग, सांस संबन्धी तकलीफ, मौसमी सर्दी-खांसी बुखार, बच्चों की ऊंचाई या वजन न बढ़ना पर परामर्श दिया जा रहा है। साथ ही सभी प्रकार के त्वचा रोग, बालों का झड़ना, गंजापन, मुंहासे, चेहरे में मुहांसे झांई, पथरी आदि के आयुर्वेद चिकित्सक एवं विशेषज्ञ अपनी सेवायें दे रहे हैं। शिविर में डॉ. मनोहर जी टेकचंदानी रिटायर्ड जिला आयुर्वेद अधिकारी, डॉ. विमल शर्मा, डॉ निहारिका सिंह, डॉ आकांक्षा सोनी, डॉक्टर किरण वर्मा, डॉक्टर मनोज चौकसे,  डॉ. रितु सिंह, डॉ सोमेश कुशवाहा सभी जरूरतमंद रोगियों का परीक्षण कर औषधि भी संस्था एवं फार्मा कंपनियों के सहयोग से निशुल्क दी जा रही है। शिविर के लिए पंजीयन फोन नं. 07752-412224 एवं 455551 455552 में एवं जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।





प्रदूषण और धूम्रपान सांस संबन्धी रोगों का प्रमुख कारण


श्वास रोग, प्राणवह, स्त्रोतस की प्रमुख व्याधि है. इस रोग में प्राणवह स्त्रोतस में अवरोग होने से नियमित रूप से होने वाली श्वास- प्रश्वास प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होने से रोगी को श्वसन क्रिया में कष्ट की अनुभूति होती है। वर्तमान में पूरा विश्व प्रगति की ओर अग्रसर है. लेकिन ये प्रगति प्रदुषण रूपी अभिशाप को जन्म दे रही है और इसे सहने के लिए सामान्य जन विवश है. महानगरों में बढ़ते कारखाने, बढ़ती वृक्षों की कटाई, वाहनों से प्रदुषण वायु को दूषित कर रहे है. ये प्रदूषित वायु एवं उसके साथ अन्य रोग कारक प्रदूषित कण साँस के साथमनुष्य के श्वसन संस्थान प्रवेश कर अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न कर रहे है. श्वास रोग वात और कफ की विकृत्ति होती है 






सामान्य कारण 

धुल धुंए, गंध युक्त पुष्प एवं प्रदार्थ, परागकण आदि से एलर्जी 

शीत स्थानों में रहने, शीट प्रदार्थों का सेवन 

तंबाकू एवं ध्रूमपान के सेवन से 

विभिन्न प्रकार के संक्रमण से 

अधिक रुक्ष अन्न एवं विषम अन्न के सेवन से

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