बिलासपुर। हाईकोर्ट ने बिना प्रक्रिया और सहमति एक कंपनी द्वारा बनाई रेलवे साइडिंग दूसरी कंपनी को देने को गलत माना है। कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई के बाद बिलासपुर रेलवे और श्री सीमेंट की याचिका खारिज करते हुए अल्ट्राट्रेक सीमेंट के पक्ष में फैसला दिया है। अल्ट्राट्रेक की ओर से पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में पैरवी की।
प्रकरण के अनुसार अल्ट्राटेक सीमेंट ने हथबंद स्टेशन से साढ़े 17 किलोमीटर दूर रावण और हिरमी क्षेत्र तक रेलवे साइडिंग के लिए ट्रैक बनाया है। दोनों जगहों पर अल्ट्राटेक का सीमेंट प्लांट है। बिलासपुर रेलवे ने इसके बाद भी श्री सीमेंट को इस साइडिंग के उपयोग की अनुमति दे दी थी। इसके खिलाफ अल्ट्राटेक की ओर से सिंगल बेंच में याचिका दायर की गई कि उसने पूरी प्रक्रिया और अनुबंध के बाद अपनी साइडिंग बनाई है। सिंगल बेंच ने अल्ट्राटेक के पक्ष में फैसला दिया था।
सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ रेलवे और श्री सीमेंट की ओर से डिवीजन बेंच में अपील की गई। मामले में अल्ट्राटेक की ओर से पैरवी करने पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पहुंचे। उनके साथ स्थानीय एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव भी थे। जबकि श्री सीमेंट की ओर से एडवोकेट रविन्द्र श्रीवास्तव और रेलवे की ओर से एडवोकेट रमाकांत मिश्रा ने पैरवी की।
एडवोकेट पी चिदंबरम ने पैरवी करते हुए कहा कि हथबंद स्टेशन से साढ़े 17 किलोमीटर दूरी तक रावण और हिरमी क्षेत्र तक रेलवे साइडिंग बनाने के लिए अल्ट्राट्रेक ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। इसमें कई निजी लोगों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया और इसमें काफी समय लगा। अब इसका उपयोग कंपनी कर रही है तो रेलवे ने श्री सीमेंट के लिए इसके रास्ते खोल दिए हैं जबकि यह गलत है। उन्होंने तर्क दिया कि रेलवे को अन्य कंपनी को भी साइडिंग के उपयोग की अनुमति देने का अधिकार है। लेकिन इससे पहले उसे अल्ट्राट्रेक सीमेंट कंपनी को सूचना देनी होगी। साथ ही श्री सीमेंट के साथ एक एग्रीमेंट भी करना जरूरी है जिसमें सारी शर्तों का उल्लेख हो। इसमें किस कंपनी की कितनी रैक कब जाएगी, श्री सीमेंट कितना भुगतान करेगी, सहित अन्य बातें शामिल होंगी। रेलवे और श्री सीमेंट की ओर से ऐसा नहीं किया गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अल्ट्राट्रेक सीमेंट के पक्ष में फैसला दिया।