बिलासपुर. 2 सितंबर बिलासपुर में एयरपोर्ट और हवाई सुविधा के विकास के लिए लगी हुई जनहित याचिकाओं के सुनवाई के दौरान आज हाईकोर्ट ने विकास कार्यों में हो रही देरी पर कड़ा रोक अपनाया।
हाई कोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधा कृष्ण अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को जमीन हस्तांतरण के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।
इसके पहले नाइट लैंडिंग सुविधा दिए जाने के बारे में की गई प्रगति पर हाई कोर्ट में सीधे सवाल पूछे राज्य सरकार की ओर से बताया गया की गत 5 अगस्त को एक बैठक हाई कोर्ट के निर्देश अनुसार हुई थी जिसमें डी वी ओ आर टेक्नोलॉजी के उपकरण लगाने पर सहमति हो गई थी।
इस मीटिंग के दौरान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस कार्य में होने वाले कुल खर्च की जानकारी दी थी जिसे छत्तीसगढ़ सरकार को वहन करना है राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके गुप्ता के द्वारा बताया गया कि आज ही इस खर्च को वहन करने के संबंध में सहमति पत्र छत्तीसगढ़ सरकार जारी कर रही है।
याचिका कर्ताओं की ओर से उपस्थित अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव में हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मीटिंग के मिनट्स और उक्त पत्र हाई कोर्ट में रिकॉर्ड पर लाया जाए जिससे कि वह भी इस पर अपना पक्ष रख सके। इसे स्वीकार कर हाईकोर्ट ने ऐसा करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए
जमीन हस्तांतरण के मामले में सुदीप श्रीवास्तव के द्वारा हाई कोर्ट को बताया गया की सेवा के द्वारा 90 करोड रुपए की धनराशि वापस कर दी गई है और वे अब नए रायपुर में जमीन की मांग कर रहे हैं जबकि इसी अदालत में रक्षा मंत्रालय की ओर से 287 एकड़ भूमि देने के बारे में सहमति दी जा चुकी है। इस मसले पर खंडपीठ ने राज्य और केंद्र सरकार से वस्तु स्थिति जाननी चाहिए राज्य सरकार की ओर से बताया गया की जमीन राज्य सरकार के कब्जे में है परंतु वे सेना के द्वारा पैसा वापस करने की सवाल पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर सके ।
केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा में भी सेना के बदलते हुए स्टैंड के दावे पर निर्देश लेने के बात कही।
इस स्तर पर हाईकोर्ट के द्वारा दोनों को भूमि हस्तांतरण पर वर्तमान स्थिति का स्टेटस रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए।
नाइट लैंडिंग उपकरणों की स्थापना के लिए जिस अतिरिक्त क्षेत्र में नई बाउंड्री वालों का निर्माण हुआ है उसे एयरपोर्ट में समाहित करने हेतु पुरानी पेंशन को गिराने की परमिशन ब्यूरो आफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी के द्वारा न दिए जाने का विषय भी आज कोर्ट में सामने आया।
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर ब्यूरो बाउंड्री वाल के किनारे सड़क को पक्का करना चाहता है तो राज्य सरकार को यह करना होगा इसी तरह अन्य छोटी-छोटी चीज के घास की कटाई नहीं हुई है यह सब भी दूर करनी होंगे और उसके बाद नई बाउंड्री वालों को एयरपोर्ट परिसर में शामिल किया जाएगा।