जैसा की कहा जाता है, मुफ्त कुछ नहीं आता, हर चीज की कीमत चुकानी पड़ती है. यही देखने को मिल रहा है हिमाचल प्रदेश में. सत्ता हासिल करने की ललक में वहां कांग्रेस ने जनता से फ्री की रेवड़ियां बांटने के बड़े-बड़े वाडे किए. परंतु अब इनको पूरा करते-करते राज्य का दिवाला निकल गया है. हालात यह है कि हिमाचल प्रदेश नें आर्थिक संकट गहरा गया है। इसी का नतीजा है कि राज्य के इतिहास में पहली बार, राज्य के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को 1 तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई।
इन फ्री वाली स्कीम्स को पूरा करने में हिमाचल की हालत इतनी ख़राब हो गई है कि राज्य पर 94 हजार करोड़ रुपये का भारी कर्ज है। इस कर्ज को पूरा करने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार को नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं. कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र से रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये आने हैं। 5 सितंबर को ही राज्य सरकार की ट्रेजरी में यह धनराशि आएगी।