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बिलासपुर।शहर के अमरनाथ साव परिवार ने अपने स्वर्गीय पिता की स्मृति में मस्तूरी में प्रसूति गृह बनाने के लिए सरकार को साढ़े पांच एकड़ जमीन दान में दी थी। पांच एकड़ को पटवारी ने गांव के एक ग्रामीण को छह लाख रुपये में बेच दिया। मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद अब इस पर कार्रवाई शुरू की गई है।
गांव के तत्कालीन पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर दान की पांच एकड़ जमीन को गांव के मंशाराम के नाम पर राजस्व दस्तावेज में चढ़ा दिया था। जमीन की ऋण पुस्तिका भी बना दी। ऋण पुस्तिका के जरिए मंशाराम समर्थन मूल्य पर धान भी बेचता रहा है। 25 सालों से गुपचुप चल रहे इस खेल का भांडा वर्ष 2021-22 में फूटा, जब जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए मंशाराम अपने जमीन का पंजीयन कराने गया और बैंक के अधिकारियों ने राजस्व रिकार्ड से मिलान किया तब पता चला कि जिस जमीन का मंशाराम धान बेचने के लिए पंजीयन करा रहा है वह तो राजस्व दस्तावेजों में शासकीय जमीन के रूप में दर्ज हो गया है।
मंशाराम ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका कर पांच एकड़ जमीन को अपने नाम पर दर्ज कराने की मांग की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने पांच महीने के भीतर याचिकाकर्ता के प्रकरण का निराकरण करे का निर्देश कलेक्टर को दिया। इसके बाद इस मामले में कार्रवाई शुरू की गई।