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सिंधी समाज के पौराणिक रीति रिवाज को ना भूले युवा पीढ़ी रूपचंद डोडवानी

 






 

  बिलासपुर . पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के प्रमुख प्रवक्ता श्री झूलेलाल सेवा समिति (झूलेलाल मंगलम) के महामंत्री एवं पूज्य सिंधी छत्तीसगढ़ पंचायत के प्रदेश उपाध्यक्ष रूपचंद डोडवानी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आव्हान किया कि.. 

आज के आधुनिक युग में युवाओं को अपनी संस्कृति और सभ्यता को न भूल कर आने वाली पीढ़ी को भी इसकी जानकारी देने का प्रयास करना चाहिए ताकि अपने समाज की सभ्यता एवं संस्कृति के विलुप्त होने का खतरा न मंडराए ।

गौरतलब है कि सिंधी समाज समस्त प्रमुख हिंदू पर्व होली जन्माष्टमी नवरात्रि दशहरा दीपावली इत्यादि के साथ अन्य सभी पर्व श्रद्धा एव हर्षोल्लास के साथ मनाता है‌।

इसके अलावा सिंधी समाज अपने तीज त्योहार पर्व अपनी संस्कृति सभ्यता को अक्षुण्ण बनाए रखने पुरा परिवार भक्ति भाव एवं उमंग के साथ मनाता है।

हमारा समाज महत्वपूर्ण "दीपावली पर्व" प्रथम पूज्यनीय विघ्नहर्ता भगवान गणेश,धन वैभव की देवी मां लक्ष्मी , विद्या की देवी मां सरस्वती, भगवान कुबेर की विधि विधान से पूजा अर्चना करता है।

दीपावली पर सिंधी समाज के घरों में होती है "हटडी की पूजा" एवं "मेलावड़ों" (मशाल) एकता का प्रतीक।

 सिंधी समाज में दीपावली पर "हटड़ी पूजा" का विशेष महत्व है। पौराणिक समय से मान्यता चली आ रही है कि "हटड़ी पूजन" से व्यापार एवं उद्योग कारोबार में बरकत एवं तरक्की होती है। "हटडी़" का मतलब है "हट" अर्थात दुकान।

 सिंधी समुदाय पुरे भारत ही नहीं पुरे विश्व में दीपावली का पावन पर्व श्रद्धा भक्ति धूमधाम हर्षोल्लाह के साथ मनाता है।ज्यादातर सिंधी समुदाय व्यापारी एवं उधोगपति ‌‌है।

लगभग 5000 वर्ष पुरानी सिंधी सभ्यता एवं संस्कृति में भी" हटडी़" का जिक्र मिलता है। उस वक्त भी सिंधी सभ्यता काफी उन्नत तथा समाज समृद्ध हुआ करता था।

परिवार में लडके के जन्म से "दिपावली" पर "हटडी़ का पूजन" किया जाता है,जिसके पीछे आशा होती है बालक बड़ा होकर सफल व्यापारी बनेगा।


                   

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