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Breaking : नायब तहसीलदार की मिलीभगत से करोड़ों की सरकारी और निजी जमीन में गड़बड़ी, अब होगी एफआईआर और कार्रवाई






बिलासपुर। शहर और क्षेत्र में राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन में गड़बड़ी का एक और मामला सामने आया है। मस्तूरी-पचपेड़ी में करोड़ों रुपए की सरकारी और निजी जमीन में हेराफेरी करने का मामला सामने आया है। पचपेड़ी के तत्कालीन नायब तहसीलदार ने गड़बड़ी की है। कलेक्टर अवनीश शरण ने इसकी जांच के बाद कार्रवाई के लिए कमिश्नर से अनुशंसा की है। मामले को दबाने के लिए दफ्तर से रिकार्ड भी गायब कर दिया है। तत्कालीन नायब तहसीलदार रमेश कुमार कमार वर्तमान में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में पदस्थ हैं।


कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में पता चला कि नायब तहसीलदार ने गांव की गौरीबाई और अन्य की 9 एकड़ 44 डिसमिल जमीन के साथ ही निस्तारी भूमि के रिकार्ड में हेराफेरी कर निजी व्यक्ति के नाम पर दर्ज कर दी है। गौरीबाई और अन्य ने अपनी 9 एकड़ 44 डिसमिल जमीन को विक्रम सिंह के नाम पर दर्ज करने की शिकायत कलेक्टर से की थी। टीएल की बैठक में नजूल अधिकारी एवं संयुक्त कलेक्टर मनीष साहू को जांच के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने जमीन का पटवारी प्रतिवेदन मंगवाया तो पता चला कि रिकार्ड में निस्तारी भूमि है। जिसे धनगवां निवासी विक्रम सिंह पिता हेमलाल के नाम दर्ज कर दिया गया है।


सरकारी जमीन हड़प ली


जांच में पता चला कि 24 सितंबर 2021 को एक ज्ञापन जारी कर हल्का पटवारी को 7 दिनों में बी–1, खसरा समेत पालन– प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया, जिसके बाद तत्कालीन नायब तहसीदार रमेश कुमार कमार ने पटवारी को रिकार्ड दुरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। मामले की जांच के दौरान तत्कालीन नायब तहसीलदार ने प्रकरण का सत्यापित दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराया। जांच के दौरान पचपेड़ी के तहसीलदार से जानकारी ली गई तो पता चला कि सुनियोजित तरीके से फाइल ऑफिस से गायब कर दिया गया है। जांच में पता चला कि आरोपी विक्रम सिंह ने जमीन अपने नाम पर दर्ज कराने के बाद उसे रायपुर के एक्सिस बैंक में बंधक रखकर लोन ले लिया। कलेक्टर ने आदेश दिया है कि लोन की राशि संबंधित व्यक्ति से जमा कराई जाए। जांच रिपोर्ट के आधार पर मस्तूरी एसडीएम को निर्देश दिए गए कि प्रथम दृष्टया पचपेड़ी के तत्कालीन नायब तहसीलदार रमेश कुमार कमार का दोष परिलक्षित होता है, इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर कराई जाए। उक्त नामांतरण निरस्त कर शासकीय भूमि एवं अन्य विधिक भू– स्वामी के नाम पर दर्ज करने, मामले के संपूर्ण विधिवत निराकरण होने तक भूमि का विक्रय ना किया जाएम उक्त खसरों के धान पंजीयन, धान विक्रय पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

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