बिलासपुर। जिला सहकारी बैंक की तोरवा मंडी शाखा में 2 करोड़ 47 लाख रुपए की गड़बड़ी सामने आई है। हालांकि इससे पहले सहकारी बैंक ने सिर्फ 14 लाख रुपए की एफआईआर कराई थी। विस्तृत जांच के बाद सहकारी बैंक की ओर से नई जांच रिपोर्ट पुलिस को सौंपी गई है। इसे पूरक चालान के तौर पर प्रस्तुत किया जाएगा।
प्रकरण के अनुसार सहकारी बैंक की तोरवा शाखा में तिफरा की खुश्बू शर्मा 2012 से बैंक में लिपिक सह कम्प्यूटर ऑपरेटर थीं। उन्हें 2014 में कैशियर की जिम्मेदारी दी गई। वह किसानों की जमा राशि को बैंक के सिस्टम में दर्ज करने की जगह मैनुअल लिख देती थी और उस राशि को बैंक में जमा करने के बजाय अपने घर ले जाती थी। आठ साल तक यह खेल चलता रहा।सहकारी बैंक सीईओ के अनुसार 123 किसानों के खाते से यह राशि निकाली गई थी।
मामला सामने आने के बाद तत्कालीन सीईओ श्रीकांत चंद्राकर के आदेश पर तोरवा शाखा प्रभारी हितेश सलूजा ने सिटी कोतवाली में आरोपी ऑपरेटर खुश्बू शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। कोतवाली थाने में किसानों का बयान लेने के बाद खुश्बू शर्मा को जेल भेज दिया गया। बाद में उसे जमानत मिल गई। इसके साथ ही बैंक की ओर से 5 जिलों के कलेक्टर और तहसीलदारों को पत्र लिखा गया। इसमें आरोपी कैशियर खुशबू उनके पति शशांक शास्त्री, सास जानकी शास्त्री के नाम से इन जिलों में जितनी भी सम्पत्ति है उसकी जानकारी मांगी गई।
पीड़ित किसानों की रकम वापस की
जिला सहकारी बैंक के सीईओ के अनुसार यह गंभीर मामला है। इसे दबाने का प्रयास किया गया। इसलिए अब नए सिरे से पुलिस को रिपोर्ट सौंपी गई है। जिन किसानों के खाते से रकम निकाली गई थी उन्हें सहकारी बैंक के प्रॉफिट मद से पूरा भुगतान कर दिया गया है। बता दें कि तोरवा शाखा में 6 हजार लोगों के खाते हैं।
शुरुआत में 80 लाख रुपए की गड़बड़ी बैंक अधिकारियों ने खुद ही स्वीकार की थी। लेकिन बाद में महज 14 लाख का घोटाला होना बताते हुए इसी की पुलिस रिपोर्ट कराई गई। बाद में कंप्यूटर ऑपरेटर से 12 लाख रुपए जमा कराते हुए बची हुए राशि का भी जल्द भुगतान कराने का आश्वासन देकर न्यायालय से जमानत कराने में मदद की गई। इससे स्पष्ट हुआ कि लगभग ढाई करोड़ की रकम को 14 लाख का बताकर मामले को ही दबाने का प्रयास किया गया।