बिलासपुर। हाईकोर्ट ने बालको को राहत देते हुए एल्युमिनियम के प्लांट से निकले 'वैनेडियम अपशिष्ट (गाद)' को खनिज नहीं माना। साथ ही इस पर शासन द्वारा रॉयल्टी लेने को गलत माना। कोर्ट ने कहा कि वैनेडियम गाद एक खनिज नहीं है क्योंकि यह बॉक्साइट खनिज की रिफाइनरियों में एल्यूमिना प्रसंस्करण के दौरान बॉक्साइट से अशुद्धियों को हटाने की प्रक्रिया का परिणाम है।
कोर्ट ने बालको की याचिका स्वीकार कर शासन द्वारा इस पर रायल्टी लेने का आदेश निरस्त कर दिया। भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) लंबे समय से अपनी खदानों में माइनिंग कर रहा है। इस प्रक्रिया में वेनेडियम की गाद निकलकर उसे भी बेचना शुरू किया था। कोरबा कलेक्टर ने 12 मार्च 2015 को एक आदेश जारी कर कम्पनी को सत्र 2001 से 2005 तक के लिये गाद पर रायल्टी लगाकर 8 करोड़ 63 लाख रुपए भुगतान करने का निर्देश दिया। इसका विरोध करते हुए बालको ने इससे इंकार कर दिया और इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। मामले में सचिव खनिज , कलेक्टर कोरबा और जिला खनिज अधिकारी को पक्षकार बनाया गया।
कोर्ट में यह तर्क रखा गया कि माइंस एंड मिनरल एक्ट 1957 के प्रावधानों के तहत इस वेस्टेज मटेरियल पर रायल्टी वसूल करना इस अधिनियम का सीधा उल्लंघन है। जस्टिस बीडी गुरु ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होकर माना कि वेनेडियम कोई खनिज नहीं है। इसके साथ ही कलेक्टर कोरबा का आदेश निरस्त कर याचिका स्वीकार कर ली। शासन को यह निर्देश भी दिए कि बालको द्वारा जमा राशि 30 दिन के भीतर वापस करें।