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जिंदा भतीजे को मृत बताकर एलआईसी से दो बार निकाल लिए लाखों रुपए, तीसरी बार क्लेम किया तो आए पुलिस के फंदे में

 



 



बिलासपुर। स्थानीय जरहाभाठा क्षेत्र में झूठा बीमा क्लेम कर लाखों रुपए निकालने का मामला सामने आया है। मास्टर माइंड चाचा-भतीजों ने मौत के झूठे दस्तावेज के सहारे यह गड़बड़ी की। पुलिस मामले की जांच कर रही। 


बता दें कि मामले में पड़ोसी से लेकर मोहल्ले में रहने वाले कुछ प्रमुख लोगों के अलावा नाई,दर्जी और धोबी को भी सेट कर लिया था। इसके लिए प्रति व्यक्ति 500 से एक हजार रुपए दिए गए। पुलिस पैसे लेकर मौत की फर्जी गवाही देने वालों की खोजबीन में जुट गई है।


 बिलासपुर निवासी चाचा-भतीजा ने सुनियोजित तरीके से इस अपराध को अंजाम तक पहुंचाया है। इन लोगों ने पालिसी के बहाने क्लेम लेने के लिए बड़ा खेल खेला,चाचा ने पहले भतीजे की कागजों में मौत होना बता दिया। इसके लिए उसने डेथ सर्टिफिकेट बनवाया। सर्टिफिकेट बनवाने और एलआईसी आफिस में डेथ क्लेम करने से पहले पड़ोसियों से लेकर मोहल्लों में नाई,दर्जी व धोबी की जितनी दुकाने हैं वहां के संचालकों और पड़ोसियों को पैसे देकर सेट कोया। पैसे देते वक्त उनको समझाया गया कि एलआईसी के अफसर आएं और पालिसी होल्डर के बारे में पूछे तब बस इतना ही कहना है कि उसकी मौत हो गई है। मौत के कारणों पर अनजान बने रहना है,बस मृत्यु की पुष्टि कर देना है। इसके एवज में पैसे मिलने पर गवाहों ने कह दिया कि ,पालिसी होल्डर की मृत्यु हो गई है।


51 लाख के लालच ने पहुंचाया जेल


चाचा और भतीजे ने एलआईसी एजेंट से चार पालिसी ली थी। तीन पालिसी की अवधि तीन साल पूरी हो चुकी थी। एलआईसी के नियमों पर गौर करें तो अगर कोई पालिसी होल्डर की मृत्यु तीन साल की अवधि पूरी होने के बाद हो जाती है और पालिसी का प्रीमियम लगातार तीन साल तक जमा होते रहा है तो उनके उत्तराधिकारी को डेथ क्लेम की राशि का भुगतान बिना जांच पड़ताल के कर दिया जाता है। तीन पालिसी में इसी नियमों की आड़ में पालिसी होल्डर ने डेथ क्लेम की आड़ में तीन पॉलिसी से 35.90 लाख रुपए ले लिया था।चौथी पालिसी के एवज में इस बार 51 लाख रुपये का क्लेम किया। एलआईसी अफसरों ने जब दस्तावेजों की पड़ताल की तब पता चला कि चौथी पालिसी की अवधि अभी तीन साल पूरी नहीं हुई है। इस बात को लेकर आशंका हुई कि तीन पालिसी में डेथ क्लेम के जरिए रुपये जारी किया गया है।


शंका होने पर जांच


 अफसरों को अचरज लगा कि एक ही तरह के क्लेम में इतनी बड़ी रकम लेने वाला कहीं फ्राड तो नहीं कर रहा है। तब अफसरों ने मामला पुलिस में देने का निर्णय लिया। पुरानी तीन पालिसी में दिए गए डेथ क्लेम के साथ ही चौथी पालिसी में क्लेम का कारण मौत को ही बताया गया था। पुलिस ने जब पड़ताल शुरू की तब चाैंकाने वाली बातें सामने आई। एलआईसी एजेंट नरेश अग्रवाल से पॉलिसी ली गई थी। तीन साल की अवधि पूरी होने पर 5 फरवरी 2024 को उसे मृत बताकर 35.90 लाख की तीन पॉलिसी में डेथ क्लेम किया। तीनों पॉलिसी की अवधि तीन साल से अधिक हो चुकी थी, इसलिए बिना जांच पड़ताल के एलआईसी ने क्लेम का भुगतान एजेंट के माध्यम से कर दिया। अफसरों ने जब दस्तावेजों की पड़ताल की तब शंका हुई और मामला पुलिस को सौंप दिया।

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