बिलासपुर। हसदेव अरण्य को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की सिफारिश के हिसाब से खनन मुक्त करने और संरक्षित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और अदाणी समूह की दो कंपनियों को नोटिस जारी किए हैं।
अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की इस याचिका के अलावा परसा कोल ब्लॉक में खनन प्रारंभ न करने के आवेदन पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं। इसमें यह बताया गया है कि पहले से चालू खदान से हो रहा उत्पादन भी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोयले की वार्षिक आवश्यकता को पूरा कर रहा है और इस कारण कोई नई खदान खोलने की आवश्यकता नहीं है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में इस नई परसा कोयला खदान को खोलने के सरकारी प्रयास के विरोध में हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था जिसमें पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया था। आज हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी ने खंडपीठ को बताया कि उक्त पूरा क्षेत्र केंद्र सरकार के द्वारा ही नो-गो क्षेत्र घोषित किया गया था। बाद में केंद्र सरकार द्वारा ही इस क्षेत्र को खनन के लिए निश्चित क्षेत्र भी घोषित किया गया। सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के द्वारा भी इस क्षेत्र को खनन मुक्त रखने की सिफारिश की गई है उसके बाद भी छत्तीसगढ़ की सरकार और केंद्र सरकार में पीईकेबी खदान के चरण दो और परसा कोयला खदान की अनुमतियां जारी की है जिसे इस याचिका में चुनौती दी गई है। इस क्षेत्र में खनन होने से चार लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे।