बिलासपुर। कोटा के तत्कालीन एसडीओ राजस्व ने नवंबर 1997 को शासकीय भूमि पर अतिक्रमण के मामले में पद का दुरुपयोग कर निर्दोष व्यक्ति को 15 दिन के लिए जेल भेजा था। इस मामले में निचले कोर्ट द्वारा अधिकारी के खिलाफ जुर्माने को हाईकोर्ट ने उचित ठहराया है। एसडीओ पदोन्नति के बाद वर्तमान में जिला पंचायत सीईओ के पद से रिटायर हो चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि कार्रवाई के खिलाफ पीड़ित ने न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया था। बिलासपुर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 2008 को अपने फैसले में 25 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। आदेश के खिलाफ अधिकारी ने 2008 में हाईकोर्ट में अपील की। 16 वर्ष बाद हाईकोर्ट ने अधिकारी की अपील को खारिज करते हुए सत्र न्यायालय के निर्णय को यथावत रखा है।
तखतपुर के ग्राम जोरापारा निवासी जगतु राम सतनामी के खिलाफ शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने की शिकायत की गई थी। तहसीलदार ने विधिवत प्रकरण दर्ज कर जगतु राम का बयान दर्ज किया और 500 रुपए जुर्माना लगाया। आदेश का पालन नहीं होने पर प्रकरण एसडीओ राजस्व कोटा को प्रेषित किया। तत्कालीन एसडीओ आर आशुतोष अवस्थी ने नोटिस जारी किया। बीमार होने के कारण जगतु राम पेशी में उपस्थित नहीं हुआ। उसका पुत्र इसकी जानकारी देने नवंबर 1997 को एसडीओ की कोर्ट में उस्थित हुआ। एसडीओ ने उसे 15 दिन के लिए सिविल जेल भेज दिया। साधराम द्वारा एसडीओ, पटवारी व शिकायकर्ता के खिलाफ न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया। प्रकरण के लंबित रहने के दौरान राज्य विभाजन होने पर एसडीओ राजस्व को एमपी कैडर आबंटित हुआ। अधिकारी के सीईओ जिला पंचायत इंदौर के पद में पदस्थ रहने के दौरान जिला न्यायालय से निर्णय पारित हुआ। इसमें अधिकारी को पावर का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया गया।