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पूर्व एल्डरमैन व बीजेपी नेता मनीष अग्रवाल अपोलो प्रबंधन पर उठाए बड़े सवाल : शुरु से ही हो रही यहां छत्तीसगढ़ और बिलासपुर क्षेत्र के प्रतिभा की अनदेखी, आयुष्मान जैसी भारत सरकार की हितग्राही योजना को अपने संस्थान में स्थान न देकर गरीबों और मध्यम वर्गी को इलाज से वंचित रखना अनुचित

 




Bilaspur. विडंबना और दुर्भाग्य उस क्षेत्र का उस प्रदेश का जहा लोकल फार वोकल की अनदेखी कर  नामी गिरामी ऐसे संस्थान उपक्रम नजर अंदाज करते  हैं, शासन प्रशासन की योजना और अन्य सुविधाओं को, यह उपक्रम है जो लोकल क्षेत्र में किसी भी प्रकार का सहयोग वेलफेयर चैरिटी महज दिखावा कर अपना व्यापार संचालित करते हैं।  भारत देश में सेवा भावी संस्थान  उपक्रम उद्योग चिकित्सा, शिक्षा, अनन्य क्षेत्रो में है जिसका साक्षात् उदहारण टाटा ग्रुप ,बिडला ग्रुप है, किसी भी संस्थान या उपक्रम में कुछ ऐसे कार्यरत कर्मचारी अधिकारी की मनमानी मैनेजमेंट के लोगों के कारण पूरी संस्था उपक्रम पर प्रश्न चिन्ह लगने लगता है ऐसे लोगों को स्वयं के लाभ से मतलब रहता है उन्हें उस उपक्रम में या संस्था में क्या लाभ हानि हो उस क्षेत्र का क्या लाभ हो इससे मतलब नहीं रहता। एक गंदी मछली पूरे तालाब के पानी को गंदा कर देती है यह बात चरितार्थ है बिलासपुर अपोलो प्रबंधन के लिए।

 देश विदेश मे अपोलो ग्रुप के चिकित्सा संस्थान , पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बिलासपुर शहर में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पहल पर, भारत सरकार का उपक्रम साउथ ईस्ट कोलफील्ड लिमिटेड की बैसाखी लगाकर अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर में  जमीन बिल्डिंग लीज रेंट पर, सेवा कार्य क्षेत्र के लिए सम्मानित भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सुशोभित  अपोलो ग्रुप के अध्यक्ष  स्वयं की उपस्थिति में बिलासपुर शहर में अपोलो हॉस्पिटल का संचालन शुभारंभ हुआ,

    पुरानी कई घटनाएं इस अस्पताल से प्रारंभिक कार्यकाल से बिलासपुर अंचल की अनदेखी करते हुए कई दफा घटित हुई इलाज के नाम पर कई ऐसे प्रकरण सुने और दिखाई भी दिए जो काफी अमानवीय है, 

  अपोलो प्रबंधन शुरुआत से ही छत्तीसगढ़ और बिलासपुर क्षेत्र के प्रतिभा को अनदेखी करते हुए यहां पर कार्यरत बाहरी कर्मचारी मैनेजमेंट चिकित्सा इन सभी की अवहेलना की लोकल क्वालिफाइड उक्त कार्य में कुशल अकुशल अर्ध कुशल की प्राथमिकता होने के बावजूद भी लोकल लोगों को प्राथमिकता नगण्यता नहीं के बराबर तौली जाती है ,लोकल व्यक्तियों को बाहरी प्रदेशों से आए मैनेजमेंट के द्वारा अपात्र बताके बाहरी क्षेत्र के लोगों को ओबलाइज  किया जाता है

  जबकि नियमतह जिस भी क्षेत्र में उपक्रम स्थापित किए जाते हैं चाहे वह औद्योगिक हो या शैक्षणिक या चिकित्सा उपक्रम या अन्य बड़े उपक्रम जिससे उसे क्षेत्र के लोगों को नौकरी एवं अन्य कार्यों के द्वारा एक निश्चित प्रतिशत के अनुसार प्राथमिकता देना मानवीय  व्यवसाय व्यवहार  है लेकिन यह बड़े घराने , बड़े ब्रांड ,ब्रांडेड लोग लोकल लोगों को अपने उपक्रम की शुरुआत तक तो सर पर बैठाते हैं ,और जब उपक्रम कुशलता के साथ रनिंग रूप से संचालित होने लगता है, तो फिर कहां का लोकल उसको दरकिनार कर दिया जाता है, यह पॉलिसी का शिकार लोकल हो जाता है और बाहरी लोगों को बढ़ावा मिलता है, 

  अपोलो हॉस्पिटल में पुराने वरिष्ठ  चिकित्सक से लेकर कार्यरत ऑफिस, फ्रंट, ऑडिट सप्लाई, फार्मेसी, हॉस्टल सर्विसेज, सिक्योरिटी से जुड़े मैनेजमेंट के ऐसे कई सज्जन और क्वालिफाइड लोगों को बाहरी मैनेजमेंट के द्वारा परेशान करके निकला भी जाता है और जान बूझकर बाहरी प्रदेशों में उनकी अन्य संबंधित संस्थानों में इनका तबादला कर दिया जाता  है जिससे कि यह परेशान हो और बाहरी व्यक्तियों को यहां रखा जा सके।

  इलाज के नाम पर अस्पताल हॉस्पिटल जैसी संस्था जो पीड़ित व्यक्ति है उसके लिए वह भगवान का घर समझ कर वहां जाता है और सब कुछ ईश्वर का नाम लेकर उन्हीं के ऊपर छोड़ देता है ताकि अस्पताल जाने वाला मैरिज और उसके परिजन हंसी-खुशी वहां से स्वस्थ होकर बाहर लौटे परंतु अधिकांशतः देखने सुनने समझने में तो यह आता है कि जिनको भगवान का दर्जा दे रहे हैं वही लुट खसोट कर रहे हैं मेडिकल सर्विस क्षेत्र की कमर्शियल दुनिया में नामी गिरामी सेवा कार्य कर रहे अन्य नाम से महंगी मेडिसिन इंजेक्शन ऑपरेशन इंस्ट्रूमेंट्स टैक्स फ्री प्रदेशों की मेडिसिन फैक्ट्री में पर्दे के पीछे अपने ब्रांड बनवाकर वही उपयोगी है और वही उपयोग में आना चाहिए इस बात को मार्केटिंग के माध्यम प्रचारित करना और फिर पीड़ित सस्ती चीज़ महंगे दर पर  लेने को मजबूर।

   वर्तमान समय में अपोलो हॉस्पिटल आयुष्मान जैसी भारत सरकार की हितग्राही उन्मूलक योजना को अपने संस्थान में स्थान न देकर गरीबों और मध्यम वर्गी को इलाज से वंचित रख नगद नारायण की पूजा कर इलाज करने पर मजबूर कर रहा है यह उचित नहीं है इसी प्रकार के केंद्र एवं राज्य सरकार की ऐसी बहुत योजनाएं हैं जिसके तहत पीड़ित गाड़ियों को आर्थिक रूप से मदद मिलती है उन सभी योजनाओं को लागू कर शासन प्रशासन की योजनाओं का लाभ सबको मिले इस और ऐसे संस्थानों को प्राथमिकता के साथ रखते हुए सुविधा दी जानी चाहिए। 


   अपोलो प्रबंधन की लापरवाही के कारण भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मेयर स्वर्गीय अशोक पिंगले जी के प्राण नहीं बच पाए थे, उसके बाद लोगों ने अपने गुस्से का इजहार किया ऐसी स्थिति कहीं भी किसी संस्थान उपक्रम मे  ना पैदा हो इस दिशा में मैनेजमेंट एवं संचालित संस्था के जिम्मेदार लोगों को ध्यान रखकर अपने उपक्रम का संचालन करना चाहिए।

  भारत सरकार कीआयुष्मान योजना को इतने बड़े संस्थान में संचालित ना करना योजना की अनदेखी करना इसकी जानकारी सोशल मीडिया और ट्विटर के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री कार्यालय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एवं छत्तीसगढ़ राज्यपाल सहित माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को प्रेषित की गई है

  ,,समझने वाले समझ जाएंगे और समझ कर भी जो ना समझे वह गुणा भाग में शामिल है,,


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