बिलासपुर.आखिर क्यों हाथ बधं जाते हैं कार्यवाही करने की बजाय ऐसे लोगों को छोड़ दिया जाता है बिना किसी दंड के जो पुलिस वालों से ही बदतमीजी कर उलझते हैं
पुलिस कर्मचारी पुलिस परिवार अपनी जान जोखिम में डालकर शासन प्रशासन और जनता की सुरक्षा की ड्यूटी करते हैं, बड़े लोग बड़े घराने पैसे वालों धनाढ्य परिवार के बिगड़ैल रईसजादे , राजा महाराजाओं के औलाद की तरह जतलाते है जैसे पुलिस कानून और नेता अभिनेता उनकी जेब में ऐसा व्यवहार सरकारी कर्मचारियों से करते हैं और उसके बाद बड़े अधिकारी सामान्य रूप से घटना को लेकर इनको रवाना कर देते हैं यह कहां का इंसाफ है
यदि शहर का कोई आम नागरिक आम युवा यदि इस प्रकार की हरकत करता है तो उसी विभाग के अधिकारी कर्मचारी उस युवा के साथ-साथ उसके पूरे परिवार को कानून की भाषा कठिन धारा की बात कर दंडित करते हैं वहां पर इन अधिकारियों और नेताओं की दया धर्म खो जाती है आंखों पर काला चश्मा लग जाता है
एक को मां एक को मौसी वाली कहावत क्या चरितार्थ करती है ऐसी कई कार्यवाही और कई कहानियों पर प्रश्न चिन्ह लगती है
सुशासन प्रहार की कार्यवाही कानून ऐसा लगता है कहीं सिर्फ मध्य और गरीबों के लिए.
ऐसा ही एक मामला बिलासपुर में रविवार रात देखने को मिला. जब राजीव गाँधी चौक नशे में धूत रईसजादे चेकिंग कर रहे सिरगिट्टी के टीआई से भीड़ गए. जानकारी के मुताबिक जब रायपुर रोड से आ रही उनकी महँगी गाडी को रोका गया तो आरोपियों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया. वे पुलिस के सामने सिगरेट् का धुंआ उड़ाते हुए रहे. वे गाडी में रखा पेग लगाने से भी नहीं चुके.पुलिस ने ड्रिंक एंड ड्राइव का केस लगाकर उन्हें चलता कर दिया. इनकी हरकतों के अनुसार इन पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए थी.