बिलासपुर। हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के बाद अब शिक्षाकर्मी भी प्राचार्य बन सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पदोन्नति के लिए नियम तय करने में शिक्षा विभाग में पहले से कार्यरत लेक्चरर के हितों को ध्यान में रखा है। 65 फीसदी पदों में से 70 फीसदी पद ई संवर्ग के लेक्चरर के लिए आरक्षित किए गए हैं। कोर्ट ने शिक्षक भर्ती और प्रमोशन नियम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करते कहा है कि प्रमोशन संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद शिक्षा विभाग में आए लेक्चरर एलबी के लिए 30 फीसदी पद आरक्षित किए गए हैं। ऐसे में नियम को असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता। शिक्षा विभाग में कार्यरत राजेश कुमार शर्मा, सुनील कौशिक, जितेंद्र शुक्ला, संजय तंबोली समेत अन्य ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी। इसमें छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2019 की अनुसूची 2 की प्रविष्टि 18 को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया था कि नियम 2019 की अनुसूची-II के अनुसार लेक्चरर का प्रमोशन वाला पद प्राचार्य है। कुल स्वीकृत पदों में से 10 प्रतिशत सीधी भर्ती और 90 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाने थे, जिनमें से 65 प्रतिशत ई-संवर्ग और टी-संवर्ग के व्याख्याता और 30 प्रतिशत व्याख्याता ई(एलबी) एवं टी (एलबी) संवर्ग से पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे।
वे पिछले 20-30 साल से काम कर रहे हैं। 30 प्रतिशत पद (एलबी) संवर्ग को दिए गए हैं। इससे याचिकाकर्ताओं को पदोन्नति का अवसर नहीं मिल पाएगा। ज्यादातर शिक्षक रिटायर होने वाले हैं। इस कारण उन्हें प्राचार्य के पद पर प्रमोशन नहीं मिल पाएगा। राज्य सरकार के इस निर्णय की वजह से वह जूनियर हो जाएंगे।