Bilaspur. हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि आपराधिक मामले में दोषमुक्त होने पर पुलिस अधिकारी या कर्मचारी सेवा में बहाली का पात्र है.प्रकरण के अनुसार दीनदयाल नगर, रायपुर निवासी वीएन. सोरेन तीसरी बटालियन, छग. सशस्त्र बल, अमलेश्वर दुर्ग में आरक्षक के पद पर पदस्थ थे.उक्त पदस्थापना के दौरान उनके विरुद्ध पुलिस थाना कुरूद, जिला धमतरी में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 506 में अपराध पंजीबद्ध होने पर सेनानी, तीसरी बटालियन द्वारा उनके विरुद्ध आरोपों पर विभागीय जांच के पश्चात् उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया.
आपराधिक मामले में सम्पूर्ण ट्रायल के पश्चात् प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट, कुरूद, जिला - धमतरी द्वारा वीएन. सोरेन के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामले में उन्हें पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया गया। दोषमुक्ति के पश्चात् भी सेवा में बहाल ना किये जाने से क्षुब्ध होकर कांस्टेबल ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट की फुल बेंच द्वारा हरिनारायण दुबे विरुद्ध स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश तथा हाईकोर्ट बिलासपुर की सिंगल बेंच द्वारा एक मामले में पारित निर्णय का उल्लेख किया गया.
साथ ही पुलिस रेगुलेशन 1861 के रेगुलेशन 241 में यह प्रावधान किया गया है कि किसी पुलिस अधिकारी-कर्मचारी के विरुद्ध आपराधिक मामला पंजीबद्ध होने के आधार पर उसे सेवा से बर्खास्त किया गया है एवं वह पुलिस अधिकारी-कर्मचारी आपराधिक मामले (क्रिमीनल) केस में पूर्ण रूप से दोषमुक्त हो जाता है, तो इस आधार पर वह सेवा में बहाली एवं अन्य आर्थिक लाभ पाने का हकदार है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता को सेवा में बहाल नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के पश्चात् याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ता के विरुद्ध पारित बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर उसे सेवा में बहाल करने का आदेश दिया।