बिलासपुर। सकरी क्षेत्र में ज्यादा मुआवजे के लिए भूमि स्वामी द्वारा अपनी जमीनों को टुकड़ों में बांटकर बटांकन कराने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है।नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण और नई सड़कों के निर्माण के लिए भूअर्जन के प्रकरणों में इस तरह की एक अपील को डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मुआवजा देने के लिए दो स्लैब बनाए गए हैं। प्रति वर्ग मीटर के आधार पर और दूसरा प्रति हेक्टेयर की दर से। भूमि स्वामियों को जब पहले स्लैब के बारे में पता चला कि राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के दौरान उनकी जमीन दायरे में आ रही है तो जमीनों को टुकड़ों में बांटकर बटांकन करा लिया और प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा के लिए दावा कर दिया। प्रकरण की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने अपील खारिज कर दी। बता दें कि सिंगल बेंच ने भी इसे गलत ठहराते हुए भूमि स्वामी की याचिका खारिज कर दी थी।
चिरमिरी के हल्दीबाड़ी निवासी पूनम सेठी की बिलासपुर के सकरी में नेशनल हाइवे क्रमांक-130 पर खसरा नंबर-310/9 में 490 वर्गमीटर जमीन थी। इसे उन्होंने जगदीश पांडेय से खरीदा था। रजिस्ट्री के दौरान स्टाम्प शुल्क वर्ग मीटर के आधार पर लगा था। जमीन खरीदने के कुछ दिनों बाद बिलासपुर-कटघोरा नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण और फोरलेन सड़क बनाने के लिए भूअर्जन की प्रक्रिया शुरू की गई। अवार्ड पारित करने से पहले भूअर्जन अधिकारी ने भू विस्थापितों को मुआवजे के आकलन के लिए पटवारी से रिपोर्ट मांगी।पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रति वर्ग मीटर के आधार पर मुआवजा हासिल करने के लिए जमीन की छोटे-छोटे टुकड़ों में खरीदी की गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर भूअर्जन अधिकारी ने 1 जुलाई 2018 को उनकी जमीन का प्रति हेक्टेयर के आधार पर मुआवजा तय किया। उन्होंने इसके खिलाफ याचिका लगाई थी।
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि तथ्यों से स्पष्ट है कि अधिक मुआवजा पाने के लिए जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित किया गया था। मूल खसरा संख्या 310 को जुलाई-अगस्त 2017 में छह छोटे टुकड़ों यानी खसरा नंबर 310/12, 310/13, 310/10, 310/11, 310/8 और 310/9 में विभाजित किया गया। राजस्व अधिकारी ने कानून के उचित तरीके का पालन किए बिना अवैध रूप से बटांकन किया गया। प्रति वर्ग मीटर स्लैब दर के अनुसार उच्च मुआवजा राशि पाने ऐसा बटांकन किया गया।