बिलासपुर। रेल कर्मचारी ने रेलवे प्रबंधन के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, रेल अफसर अपने स्वार्थ के लिए ट्रेन एक्सीडेंट करा रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस पर स्वयं संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की और कर्मचारी को रेलवे में खुद जवाबदारी पूरी करने की सलाह दी।
अमोश नाग रायगढ़ रेलवे में ऑपरेशनल विभाग में पदस्थ हैं जहाँ इंजन की चेकिंग होती है। उनका कहना है कि ,रेलवे के अधिकारी खुद ही इंजन के व्हील में ड्रिलिंग कराकर एक्सीडेंट करा रहे हैं। इसकी वजह है कि एक्सीडेंट के बाद मलबे को स्क्रैप के रूप बेचकर मोटा कमीशन लिया जाता है। इसे लेकर उन्होंने पहले एक याचिका लगाई थी , इस पर कोर्ट ने उन्हें जनहित याचिका दायर करने को कहा था। सोमवार को चीफ जस्टिस की डीबी में सुनवाई हुई। रेलवे की ओर से बताया गया कि , कर्मचारी का तबादला बिलासपुर से रायगढ़ 13 नवम्बर 24 को किया गया था। इसके बाद ये आरोप लगाए गए हैं। इस पर नाग ने कोर्ट में कहा कि मुझे तबादले से कोई परेशानी नहीं है। मैं इस उदेश्य को लेकर आया हूँ कि लोगों की जान को खतरा न हो। हाईकोर्ट ने पुछा कि आप अपने तबादले के पहले क्यों नहीं आये?
सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि, इस मामले में कोर्ट खुद संज्ञान ले रहा है। आप अभी मुक्त हैं , रेलवे में अपना काम करते रहें। आपने इतना महत्वपूर्ण मुद्ददा उठाया , इसका धन्यवाद। चीफ जस्टिस ने केंद्र के वकील रमाकांत मिश्रा से साफ़ कहा कि, इन्हें कुछ होना नहीं चाहिए।
याचिका में कहा कि रेलवे इंजन के व्हील में ड्रिलिंग नहीं करना चाहिए यह अवैधानिक है। बड़ी संख्या में नये एक्सल उपलब्ध हैं इसलिए ड्रिलिंग की जरूरत नहीं है। इसके लिए संस्थान आरडीएसओ ने मनाही की हुई है। साथ ही इसकी अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग 270 दिन में होती है , जो नहीं की जा रही है। अपने व्यक्तिगत आर्थिक लाभ के लिए अफसर ऐसा काम कर रहे हैं।