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ई फाइलिंग क्या निकलेगी अब फाइलों से बाहर, सीएम की पहल के बाद मार्च में शुरुआत और कामकाज में कसावट की उम्मीद




रायपुर। छत्तीसगढ़ में ई-फाइलिंग फाइलों तक ही सिमट कर रह गई थी। लेकिन एक जनवरी को मुख्यमंत्री के संबोधन के बाद सीएम सचिवालय ने ई-आफिस पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए बड़ी तेजी से साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। पीएस टू सीएम सुबोध सिंह इसकी खुद मानिटरिंग कर रहे हैं।जीएडी के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद काम इतना तेजी से चल रहा कि अगले महीने या फिर मार्च के पहले सप्ताह तक ई-फाईलिंग शुरू हो जाएंगी।






 ई-फाइलिंग की शुरूआत 2017 में विवेक ढांड के चीफ सिकरेट्री रहने के दौरान हुई थी। इसके लिए कई दौर की मीटिंगें और लंबी तैयारी हुई थी। मगर इसके बाद कुछ नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव की सरकार बनने के बाद पहली बार सुशासन विभाग बनाया गया। मुख्यमंत्री 15 अगस्त 2024 को अफसरों को निर्देश दिए गए कि सबसे पहले मंत्रालय से ई-फाइलिंग प्रारंभ कराई जाए। मगर फिर बात आई-गई हो गई।


साल-2025 के पहले दिन याने एक जनवरी को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंत्रालय में सचिवों और विभागाध्यक्षों की अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में संबोधन की शुरूआत ही उन्होंने अफसरों की टाइमिंग और ई-फाइलिंग से की।

मुख्यमंत्री ने संयमित शब्दों में अपनी नाराजगी जता दी। उन्होंने कहा कि अफसरों का दायित्व बनता है कि वे टाईम पर आएं और काम करें। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हफ्ते में पांच दिन काम करना है। फिर भी आप लोग काम नहीं करेंगे तो कैसे होगा।


मुख्यमंत्री ने ई-आफिस और ई-फाइलिंग की 15 अगस्त की बात फिर दोहराई। उन्होंने कहा कि सुशासन तभी आएगा, जब डिजिटलाइजेशन को ज्यादा-से-ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा था कि ई-फाइलिंग से गबड़ियों की गुंजाइश कम रहेगी।

मुख्यमंत्री की बैठक के बाद उसी दिन शाम को पीएस टू सीएम सुबोध सिंह ने कलेक्टरों और अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप में टाईमिंग को लेकर मैसेज डाल दिया। इसके बाद सिस्टम हरकत में आ गया।

3 जनवरी से मंत्रालय में टाईमिंग को लेकर सीएम सचिवालय स़ख्त हो गया। इसके बाद 6 जनवरी सोमवार को मंत्रालय के गेट पर रजिस्टर में दस बजे के बाद आने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों की इंट्री की जाने लगी। इसके बाद अब स्थिति यह है कि 09.55 बजते-बजते अधिकांश सिकरेट्री मंत्रालय पहुंच जा रहे हैं।


सुबोध सिंह के मैसेज के बाद जीएडी सिकरेट्री मुकेश बंसल लगे टाईट करने। वे खुद भी अफसरों को फोन कर रहे हैं। उसका नतीजा यह हुआ कि जिलों में अब कलेक्टर, एसपी भी 10 बजे पहुंचने लगे हैं।


कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को डर सता रहा कि सीएम सचिवालय से कहीं किसी को फोन आ गया तो मुश्किल हो जाएगी। जाहिर है, दिल्ली के तर्ज पर सीएम सचिवालय से कलेक्टरों के दफ्तर में फोन जा रहा है।


दिल्ली में सचिव खुद ही साढ़े नौ बजे तक पहुंच जाते हैं। और इंटरकम पर अफसरों को किसी भी काम के लिए कॉल कर देते हैं। इसलिए नीचे के अधिकारी भी सचिव से पहले आफिस में मुस्तैद रहते हैं।


राज्य बनने के बाद से नहीं बन पाया वर्किंग कल्चर


छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य रहा कि राज्य बनने के बाद 24 साल में वर्किंग कल्चर बनाने का कभी प्रयास नहीं हुआ। यहां तक कि अजीत जोगी जैसे मुख्यमंत्री ने इस पर कभी अपना फोकस नहीं किया। ये अलग बात थी कि नौकरशाहों में उनके नाम का खौफ था, मगर सिस्टम नहीं बना। ये पहला मौका होगा, जब राज्य में वर्किंग कल्चर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।


काम भी फास्ट


छत्तीसगढ़ में ई-फाइलिंग याने ई-आफिस प्रारंभ होने से काम फास्ट होगा ही, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा माध्यम फाइलों को रोकना, पार्टी को पेमेंट के लिए लटकाना होता है। सरकार अगर नियम बना देगी कि इस शेड्यूल में पेमेंट किसी भी हाल में होना है तो ठेकेदार, सप्लायर अफसरों और बाबुओं के चक्कर नहीं लगाएंगे। उन्हें पता रहेगा कि इस डेट तक मेरा पैसा एकाउंट में पहुंच जाएगा।


एक क्लिक पर सारी फाइलें


अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ई-फाइलिंग सिस्टम प्रारंभ होने के बाद किसी भी फाइल को एक क्लिक से सीएम सचिवालय की टीम फाइलों को सर्च कर लेगी कि फलां फाइल किस अफसर या बाबू के पास डंप है और कब से। उसमें नोटिंग क्या लिखी है, और फाइल रोकने की वजह क्या है।


जाहिर है, अब फाइल रोकना या लटकाना संभव नहीं होगा। अफसरों को अब फाइल को डिस्पोज करना होगा। वरना, अभी जिस फाइल को लटकाना होता है या कमीशन का रेट बढ़ाना होता है तो उस पर चर्चा लिख देते हैं। चर्चा का मतलब नीचे वाले समझ जाते हैं।

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